direct dil se
दिल भी दिल ही था यहां वो बहुत कुछ कहता था ,मगर दिमाग उसकी एक नहीं सुनता थाकर्ता न करता , बेचारा दिल अंदर ही अंदर घुट गया जिस्म में दिमाग से ज्यादा छोटा रह गया गया
बातें दिमाग की तनाव पैदा करती रही
मगर बेचारा दिल बोझ क निचे दब गया
डर गया खुद इतना अकेला हो गया की .
उसकी सांसे भी धड़कन का शोर बन गई....
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