Sunday, March 25, 2018

direct dil se

दिल भी दिल ही था 
यहां वो बहुत कुछ कहता था ,
मगर दिमाग उसकी एक नहीं सुनता था
कर्ता न करता , बेचारा दिल अंदर ही अंदर घुट गया 
जिस्म में दिमाग से ज्यादा छोटा रह गया गया 
बातें दिमाग की तनाव पैदा करती रही
मगर बेचारा दिल बोझ क निचे दब गया
डर गया खुद इतना अकेला हो गया की .
उसकी सांसे भी धड़कन का शोर बन गई....

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