अब मोहब्बत भी नहीं
बड़ी अजीब बात है की
इसकी फ़िक्र अब हम दोनों को ही नहीं
तुम जो रोज आदतन मुस्कुराते रहते थे कभी
हम जो रोज तुमसे मिलने आया करते थे कभी
बड़ी अजीब बात है की
इसकी फ़िक्र अब हम दोनों को ही नहीं
बिन कहे जज्बातो की बात जो समझ जाया करते थे कभी
उन्हें अब अल्फाज़ो में भी पिरो पाते अब नहीं
बड़ी अजीब बात है की
इसकी फ़िक्र अब हम दोनों को ही नहीं
******rudra******
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