Friday, December 25, 2020

"डायरेक्ट दिल से"

 "डायरेक्ट दिल से"

मैंने  बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं है , शायद दिल ने भी अब कुछ सोचना बंद कर दिया है। मगर आज मैंने आपने दिल से बात की, दिल बेताब था मगरअब वोअकेला था ; मेरा साथ पाकर " वो " फिर पुराने सपनो की दुनिया में लौट चलने को बेताब नज़र आया और कलम का हाथ पकड़ के पन्नो की राह पे चल निकला|

जरुरी उम्र में बहुत सी गैर जरुरी चीज़ो के पीछे भागते हुए अपने ही सपनो को दोखा देता रहा।जब उम्र थी, ख़्वाब, नए जोश उमंग तरो-ताज़ा फिर भी अपने सपनो को वक़्त में दे नहीं पाया।वजहों की तलाश तो हो सकती है मगर किसी का कोई दोष समझ नहीं आता। जो बन सकता था वो आज हूँ नहीं जो दूसरे चाहते थे वैसा कभी बन भी नहीं पाते।अब जब सब हार ही चूका हूँ मनोबल "मनकाबलनहीं, तो शायद खोने के लिये विशेष कुछ रह भी नही गया।कुछ गैरजरुरी बातों से खुद को अलग कर रहा हूँ |

 एक वाकया है जो जीवन के नीरस होते अर्थ को शायद नई परीभाषा दे सके उमीद करता हूँ आप तक इसका सार पहुंचा सकूँ|

जीवन को और पास से समझने के लिए एक दिन यूँही सुँदर सजींव छवी लेने के उद्देश्य से मैंने अपना कैमरा लिया और जंगल में रात्रि भ्रमण के निश्चय से शाम को निकल पड़ा , मैं भोर तक खाली हाथ था इस बीच मैंने विभिन्न छवियों को कैमरा में कैद कर लिया था, लेकिन उनमें  से  कोई भी मेरे उत्साह को संतुष्ट नहीं कर पा रही  थी | बेहतर कल की उम्मीद में मैं वापस लौट आया और पिछले दिन की दिनचर्या को दोहराया और उस दिनचर्या को बिना बदलाव कुछ दिनों तक जारी रखा।

दिन हफ्ते में बदले हफ्ते महीनो में और फिर मैंने आखिरकार खुद को समझाया की दिनों की गिनती अब बंद कर देनी चाहिये।

उस रात मैंने अपना कैमरा लिया, कुछ सुरक्षा गियर और सामान और निकल पडा लेकिन पहले मुझे अपने डर का सामना करना था ; जंगल के और अंदर अंधेरो में जाना था आखिरकार सुबह तक में फिर भी खाली हाथ था लेकिन मुझे एहसास हुआ कि रात मैं जब बाहर था, उस रात मैंने बहुत से जानवरो की रात्रिचर्या का का हिस्सा बना,सिहरन थी मगर उसका अलग रोमांच था। हर एक पल मेरे लिए महाकाव्य होने से संबंधित था|

अगली रात में फिर तैयार था मगर आज मुझे यकीन था में कोई छवि अपने मनः अनुसार कैमरा मेरे उत्साह को संतुष्ट कर पायेगी, उस रात मुझे पता था कि कब मैं सही तस्वीर ले पाउँगा क्योंकि मुझे पता है कि मैंने स्थिति को पहले पढ़ना और उसके लिए तैयार रहना सीख लिया था और प्रत्याशित परिणाम की प्रतीक्षा करने के लिए में अब तैयार था |

यही जिंदगी है दोस्तों ,उस रात का मुझे सिखाया गया एक बेहद जरुरी सबक ,

"जब आप चाहते है सब आपके  मन का हो, उसके लिए धैर्य ,आत्मविश्वास और अपने डर को समझना सीखना आना चाहिए , जिंदगी सिखाती है बस उसे निरंतर मौका देते रहना चाहिए"



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