अभी तक थोडा ही खुद को समझ
पा रहा हूँ, जरुरी चीजों को दर किनार कर बहुत सी गैर जरुरी चीजों का दिमाग में
समायोजन होता जा रहा , उम्र आपनी ही रफ़्तार में बढ़ रही जिंदगी कम हो रही , मगर असल
परेशानी का सबक उम्र या जिंदगी नहीं वो सारे मुकाम है जो आपने हो सकते थे मगर हमने
उनको निकल जाने दिया, बहुत से लोग कहते है
जिंदगी में मौके बहुत मिलते है मगर मेहनत करने वालो को , अब सवाल ये है की हम पीछे
कहा रह जाते है इन दोनों में ?
जिंदगी में सवालो के ढेर
होते जा रहे और उनके जवाब नाकाफ़ी | मुक्कमल जिंदगी हो ना हो एक मुक्कमल कल आने
वाले कल के नाम जरुर हो | हताशा ने अभी सिर्फ दस्तक दी उसको अभी भी घर के अंन्दर
आने नहीं दिया देखते है किसकी जिद बड़ी है हताशा जो अंदर आना चाहती है या में जो
बाधा बन उसके रस्ते अभी भी खड़ा हूँ|
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