कई बार
मेरे से लोग पूछते है आखिर तुम जो लिखते हो उसकी वजह क्या है? कहाँ से चुराकर लिखते
हो ? कई बार जब लिखना शुरु करता हूँ तो लोगो को उसका सारांश समझ नहीं आता ? इन सब
सवालो के जवाब में केवल एक ही बात कह सकता हूँ ,में लिखता हूँ क्यूंकि मुझे इसकी
जरुवत है | मैं वह सब लिख कर कागज पर उतार देना चाहता हूँ, जो मेरे मन में चलता
रहता है , जिसकी मुझे परवाह भी नहीं करनी
पड़ती | मैंने कभी कोई अपना सपना या
कोई ऐसी बात नहीं लिखी जिनसे में कभी रु-बा-रु ना हुवा हूँ , मेरे अपने तजुर्बे को कागज पर उकेरा है , अच्छे
बुरे जेसे भी थे वो मेरे अपने थे | जब भी लिखता हूँ तो इस सजीव दुनिया में “मैं” अपनी
बात कम से कम खुद से तो कह पता हूँ , थोडा
इसी बहाने अपने आप को आपने जज्बातों से अलग कर के वास्तविकता समझने की कोशिस भी कर
लेता हूँ क्यूंकि कही पढ़ा था “जीवन का
दर्द इस संसार का सबसे बड़ा उपहास है और सीख
उसकी इनाम” | मेरी लिखने की एक वजह शायद ये भी है कि इस दुनिया में “मैं” ही ऐस्सा
व्यक्ति हूँ जिसकी बात दुनिया को अगर बताऊ तो “वो” मुझसे बुरा नहीं मानेगा |
No comments:
Post a Comment