मैं बहुत दिनों से ये समझने की कोसिस कर रहा था और प्रामाणिक तौर पर अपनी ही बातो को रिकॉर्ड करते जा रहा था जैसा की आज भी मैंने किया , में दार्शनिक तौर पे बहुत से लोगो की बहुत सी गलतियों को नोटिफीय तो कर ही रहा था साथ ही इस बात को नज़र अंदाज़ भी की शायद में उन लोगो जैसा शायद बन भी नहीं पाउँगा , सभी लोगो की खासियतें अलग अलग होती है साथी उनकी कमिया भी , बात तो तब है जब किसी की कमिया आप बताय तो मगर उस गलती को खुद भी न दोहराहे में पिछले कुछ हफ्ते से कई चीज़ो खुद को अलग करने की नाकाम कोसिस करता रहा हूँ और य तो जान ही गया हूँ में खुद को जिस आईने में देखना चाहता हूँ उसको तराशना मेरे को ही है उम्र हो चुकी की अब्ब गलतियों की जुंजाईश कम की जाय
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