खोजी लोगो की तमाम खासियतों में एक यह भी है कि वो संदेह बहुत करते है ऐसे कि उनको हर जगह उसके होने कि वजह और उससे होने वाले परिणामो कि चिंता रहती है , रचनात्मक होने क लिए किसी स्कूल या यूनिवर्सिटी कि जररूत नहीं होती , सिर्फ खुद को समझने और अहंकार को ख़तम करने कि जरूरत है , अंहकार के कई स्वरूपों में एक , मैँ सब जनता हूँ और आगे ऐसा ही होगा क्यूंकि अभी तक ऐसा ही होते आया है , इन सब को भूल कर ही हम आगे बढ़ सकते है अपने पूर्वानुमानो को ज ब तक जांच न ले किसी तर्क को उसका अंजाम नहीं माने
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